संकटग्रस्त जातियाँ
हमारे देश में, इस समय, वन्य स्तनियों की लगभग 81, वन्य पक्षियों की लगभग 30, सरीसृपों और उभयचरों की लगभग 15 तथा अकशेरुकियों की बहुत-सी जातियाँ संकटग्रस्त हैं अर्थात् विलुप्त होने की कगार पर हैं, इन्हें संकटग्रस्त जातियाँ कहा जाता है। इनकी पूर्ण सूची, भारतीय शासन द्वारा प्रसारित “लाल आँकड़े’ (Red Data Book) नामक पुस्तक में दी गई हैं। हमारे संकटग्रस्त स्तनी मुख्यत: हैं—बबर शेर, बाघ, भेड़िये, सियार, लोमड़ियाँ, भालू, गन्ध बिलाव, लोरिस, अधिकांश जातियों के बन्दर, शल्की चींटीखोर, हिमचीता, गैंडा, जंगली गधा, जंगली सुअर, कस्तूरी मृग, कश्मीरी मृग, विविध जातियों के कुरंग, उड़न गिलहरियाँ, गंगों का सँस, सेही, गवले या गौर, जंगली भेड़े और बकरियाँ, गिब्बन, हाथी, जंगली भैंसे आदि।
हमारे संकटग्रस्त पक्षी मुख्यतः हैं- कुछ जातियों की बत्तखें, बाज, समुद्री गरुड़, बाँस तीतर, पहाड़ी बटेर, भारतीय पनचिरा, स्कन्ध मुर्गाबी (spur fowl), धनेश, हुकना, चेड़ (pheasant), सारस आदि।
संकटग्रस्त सरीसृप हैं- कई जातियों के कछुवे, मगरमच्छ, गोह, विषैले सर्प, अजगर इत्यादि।
संकटग्रस्त उभयचर मुख्यत: हैं- जरायुजी (viviparous) टोड तथा हिमालयी सरटिका (newt)।