अन्त:स्रावी ग्रन्थि (Endocrine gland)
ऐसी ग्रन्थियाँ जो नलिका विहीन (Ductless) होती हैं व अपना स्राव सीधा रक्त में स्रावित करती हैं, अन्त:स्रावी ग्रन्थि कहते हैं।
1. थाइरॉइड ग्रन्थि-यह हमारी गर्दन में कंठ के दोनों ओर स्थित होती है। इस ग्रन्थि के दो पिण्ड होते हैं जो ‘H’ की आकृति बनाते हैं । इस ग्रन्थि से थाइरॉक्सिन (Thyroxin) नामक हॉर्मोन स्रावित होता है, जिसमें आयोडीन की मात्रा अधिक होती है। थाइरॉक्सिन हॉर्मोन की रुधिर में अधिक मात्रा होने पर भोजन के ऑक्सीकरण की दर बढ़ जाती है। हृदय की धडकनों की दर तेज हो जाती है जिससे बराबर बेचैनी बनी रहती है। इस हॉर्मोन की कमी से रुधिर में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है और गलगण्ड (goitre) रोग हो जाता है। यदि बचपन से ही इस हॉर्मोन की कमी हो जाये तो शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण नहीं होता है जिससे बच्चे पागल हो जाते हैं। थाइरॉक्सिन हॉर्मोन में आयोडीन की अधिकता होती है।
थाइरॉक्सिन हॉर्मोन के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं|
- यह आधारी उपापचयी दर (Basal metabolic rate, B.M.R.) नियंत्रित करता है।
- कोशिकीय श्वसन दर को तीव्र करता है।
- यह हॉर्मोन देह ताप को नियंत्रित करता है।
- शारीरिक वृद्धि को अन्य हॉर्मोनों के साथ मिलकर नियंत्रित करता है।
- उभयचरों के कायान्तरण में आवश्यक है।
2. अग्न्याशय ग्रन्थि-अग्न्याशय में कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाएँ भी होती हैं जो लेंगरहेन्स द्वीप (Islets of Langerhans) कहलाती हैं। लेगरहेन्स द्वीप की कोशिकाओं से स्रावित हॉर्मोन सीधे ही रक्त द्वारा अन्य हॉर्मोनों की तरह स्थानान्तरित होते हैं। सेंगरहेन्स द्वीप में 0 एवं 3 कोशिकाएँ होती हैं। 2 (ऐल्फा) कोशिकाओं में ग्लूकेगोन (glucagon) एवं B (बीटा) कोशिकाओं में इन्सुलिन
(insulin) हॉर्मोन स्रावित होते हैं। इन्सुलिन रुधिर में उपस्थित शक्कर (शर्करा) को ग्लाइकोजन (glycogen) में बदलता है। ग्लाइकोजन पानी में अविलेय है एवं यकृत में संचित रहती है। ग्लूकेगोन हॉर्मोन ग्लाइकोजन को पुनः आवश्यकतानुसार ग्लूकोज में बदलता है। जब रुधिर में इन्सुलिन की मात्रा कम हो जाती है तो ग्लूकोज ग्लाइकोजन में नहीं बदलता है जिसके फलस्वरूप भोजन के पाचन से बना ग्लूकोज रक्त में रहता है एवं मूत्र के साथ नेफ्रोन में छन जाता है। नेफ्रोन इस अधिक मात्रा का पुनः अवशोषण नहीं कर सकता है एवं व्यक्ति मधुमेह (diabetes mellitus) का रोगी हो जाता है।