परभक्षी (शिकारी) तथा भक्ष्य (शिकार)
किसी पारिस्थितिक तन्त्र (ecosystem) के जैवीय तथा अजैवीय घटकों (biotic and abiotic components) के आपसी सम्बन्ध, चक्रण आदि पर ही उस पारितन्त्र के सन्तुलन का अस्तित्व है। जैवीय घटकों के आपसी सम्बन्ध, ऊर्जा तथा पोषक पदार्थों के प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं। जैवीय घटकों में तीन प्रकार के जीव प्रमुख हैं- उत्पादक (producers), उपभोक्ता (consumers) तथा अपघटक (decomposers)।
उपभोक्ता विभिन्न श्रेणियों (orders) के यथा शाकाहारी (herbivores), मांसाहारी (carnivores) या सर्वाहारी (Omnivores) होते हैं। इनमें भी प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता सदैव शाकाहारी होते हैं और अपने पोषण के लिए उत्पादकों (producers) पर निर्भर करते हैं। . शाकाहारी जन्तु अगली श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए खाद्य पदार्थों को अपने अन्दर संचित करते हैं।
चूंकि ये जीव प्राय: जन्तु (animals) ही होते हैं अतः द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं (consumers of second order) को तो इनको किसी न किसी प्रकार पकड़कर अथवा शिकार करके ही अपना खाद्य बनाना होगा। स्पष्ट है यह मांसाहारी (carnivore) जो अपने शिकार या भक्ष्य (prey) को मार कर अपना भोजन बनाता है शिकारी या परभक्षी (predator) कहलाता है।