पीड़क जन्तु
मनुष्य भोजन के लिए कृषि द्वारा भूमि से अनाज, फल, सब्जी आदि उगाता है, लेकिन कोई भी फसल ऐसी नहीं होती जिससे अनेक प्रकार के कीट अपना भोजन प्राप्त न करते हों। पेड़-पौधों की जड़ों, तनों, पत्तियों, कलियों, फूलों, बीजों आदि पर विभिन्न प्रकार के कीट आक्रमण करते हैं। लगभग एक-तिहाई फसल के भागीदार ये कीट बन जाते हैं। इससे हमारे देश को लगभग 500 करोड़ और अकेले उत्तर प्रदेश को 50 करोड़ की हानि प्रतिवर्ष होती है। इन हानिकारक कीटों को ही हम पीड़क जन्तु या पीड़क कीट कहते हैं।
दो कृषि पीइक कीटों के नाम
1. टिड्डी
2. ईख की गिडार
हानि एवं उत्पादन पर प्रभाव –
- फसल को टिड्डियों से बहुत हानि होती है। एक टिड्डी दल में करोड़ों तक की संख्या में टिड्डियाँ हो सकती हैं जो कुछ ही मिनटों में सम्पूर्ण फसल का सफाया कर देती हैं, जिससे उत्पादन शून्य भी हो सकता है।
- ईख की गिडार गन्ने के तने को भीतर से खोखला कर देती है जिससे उत्पादन घट जाता है।
नियंत्रण के उपाय – निम्नलिखित उपायों द्वारा पीड़क कीटों को नियन्त्रित किया जा सकता है।
- यान्त्रिक नियन्त्रण,
- भौतिक नियन्त्रण
- जैविक नियन्त्रण (बन्ध्याकरण, कीट भक्षण, परजीविता),
- सांस्कृतिक नियन्त्रण,
- वैज्ञानिक नियन्त्रण तथा
- रासायनिक नियन्त्रण।