मलेरिया रोग के रोगजनक, लक्षण तथा उपचार
मलेरिया रोग का जनक एक प्रोटोजोआ जीव प्लाज्मोडियम है। प्लाज्मोडियम वाइवैक्स, प्लाज्मोडियम ओवल, प्लाज्मोडियम मलेरी तथा प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम इस जीव की प्रमुख जातियाँ हैं जो मलेरिया रोग के लिए उत्तरदायी हैं।
लक्षण
- इस रोग में रोगी की भूख मर जाती है।
- रोगी को तीव्र ज्वर चढ़ जाता है।
- रोगी को कब्ज हो जाता है तथा जी मिचलाता है।
- रोगी का मुँह सूखने लगता है।
- रोगी के सिर, पेशियों और जोड़ो में तीव्र दर्द होता है।
उपचार – मलेरिया के उपचार के लिए 300 वर्षों से कुनैन एक परम्परागत औषधि बनी हुई है। यह डच ईस्ट इण्डीज, भारत, पेरू, लंका आदि देशों में सिन्कोना वृक्ष की छाल के सत से बनाई जाती है। यह रोगी के रुधिर में उपस्थित प्लाज्मोडियम की सभी प्रावस्थाओं को नष्ट कर देती है। कुनैन से मिलती-जुलती कृत्रिम औषधियाँ-ऐटीब्रिन, बेसोक्विन, एमक्विन, मैलोसाइड, मेलुब्रिन, निवाक्विन, रेसोचिन, कामोक्विन, क्लोरोक्विन आदि आजकल प्रचलित हैं। पेल्यूड्रिन, मेपाक्रीन, पैन्टाक्विन, डेराप्रिम, प्राइमाक्विन एवं प्लाज्मोक्विन रोगी के यकृत में उपस्थित प्लाज्मोडियम की प्रावस्थाओं को भी नष्ट करती हैं।
बचाव व नियन्त्रण
- घरेलू कुलर आदि में भी पानी की सफाई दो-तीन दिन के उपरान्त करनी चाहिए। नाली व अन्य पानी जमा होने वाले स्थानों पर मच्छरों का जनन रोकने हेतु मिट्टी का तेल डालना चाहिए। मच्छर के लारवा को खाने वाली मछलियों को तथा बतखों को पानी में छोड़ देते हैं। तथा यूट्रीकुलेरिया (Utricularia) जैसे पादपों को पानी में उगाते हैं।
- मच्छर के जनन स्थानों को नष्ट कर देना चाहिए तथा नालियों को खुला नहीं छोड़ना चाहिए।
- D.D.T, B.H.C. आदि का प्रयोग मच्छर नष्ट करने हेतु करना चाहिए परन्तु इन दोनों का प्रयोग भारत में प्रतिबन्धित है।
- क्लोरोक्विन, प्राइमोक्विन, डाराप्रिम दवाओं का प्रयोग रोगी को स्वस्थ करने में सहायक होता है।
- मच्छरों को दूर भगाने हेतु allout तेल व क्रीम तथा मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।