असंक्रामक रोग
वे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे में संचारित नहीं होते हैं, असंक्रामक रोग कहलाते हैं।
1. एलर्जी
कारक – हममें से कुछ लोग पर्यावरण में मौजूद कुछ कणों; जैसे-पराग, चिंचड़ी, कीट आदि के प्रति संवेदनशील होते हैं। इनके सम्पर्क में आने से ही हमारे शरीर में प्रतिक्रियास्वरूप खुजली आदि प्रारम्भ हो जाती है। यही एलर्जी है।
लक्षण
- हमारे शरीर पर लाल दाने या चकते पड़ जाते हैं।
- शरीर में खुजली होती है।
- छींक आती है।
- नाक में से पानी बहता है।
रोकथाम के उपाय – हमें नये स्थान पर जाते समय वहाँ की भौगोलिक दशा के अनुरूप तैयारी करनी चाहिए अर्थात् यदि वहाँ धूल, पराग आदि अधिक होने की संभावना हो तो मुंह पर मास्क लगाकर निकलना चाहिए। शरीर को पूरा ढककर बाहर निकलना चाहिए तथा एलर्जी हो जाने पर प्रति हिस्टैमीन, एड्रीनेलिन और स्टीराइडों जैसी औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।
2. कैंसर
कारक – सामान्य कोशिकाओं को कैंसरी कोशिकाओं में रूपान्तरण को प्रेरित करने वाले कारक भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक हो सकते हैं। ये कारक कैंसरजन कहलाते हैं। एक्स किरणें, गामा किरणें, पराबैंगनी किरणें, तम्बाकू के धुएँ में मौजूद कैंसरजन आदि कैंसर उत्पन्न करने के प्रमुख कारण हैं।
लक्षण – कैंसर ग्रस्त रोगी के शरीर में गाँठे पड़ जाती हैं जो बढ़ती रहती हैं।
रोकथाम के उपाय – कैंसरों के उपचार के लिए शल्यक्रिया, विकिरण चिकित्सा और प्रतिरक्षा चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है। आजकल कीमोथैरेपी का प्रचलन बढ़ गया है क्योंकि इससे रोग के समाप्त होने की संभावना अधिक होती है।