कुरान मुसलमानों की सबसे पवित्र पुस्तक है जो कि अरबी भाषा में है। इसमें 114 अध्याय हैं, जिसे सूरा (Suras) कहा जाता हैं। मुसलमानों के अनुसार कुरान में वह संदेश दिये गये हैं जो अल्लाह ने हज़रत मुहम्मद (रसूल) को 610 ई. से 632 ई. के बीच पहले मक्का में और फिर मदीना में दिये थे।
कुरान बताता है कि मनुष्य का आदर्श व्यवहार और जीवन कैसा होना चाहिए। ब्रह्माण्ड की रचना क्यों हुई तथा इसका उद्देश्य क्या है तथा अल्लाह अपने बन्दों से क्या आशायें रखता है। इस्लाम के प्रारम्भिक इतिहास को जानने के लिए कुरान से पर्याप्त सहायता नहीं मिलती। कुछ मुसलमान विद्वानों का विचार है कि कुरान की अल्लाह ने स्वयं रचना की है यह अल्लाह का भाषण नहीं है।
दूसरे, कुरान में अलंकारों का प्रयोग किया गया है। ईसाइ धर्म के धर्मग्रंथ ‘बाइबल’ के पहले खंड – ‘The Old Testament’ के विपरीत कुरान घटनाओं को पूर्ण नहीं करता है केवल घटनाओं का संक्षेप में प्रमाण देता है। मध्यकाल के मुसलमान धार्मिक विद्वानों को हदीस की सहायता से कुरान के कई पंक्तियों के अर्थ ढूंढने पड़े। विद्वानों ने कुरान को पढ़ाने तथा उसे समझने के लिए कई हदीसें लिखीं।