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ऊष्मागतिक साम्य का संक्षिप्त वर्णन कीजिए

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ऊष्मागतिक का शून्य नियम

जब किसी निकाय के स्थूल गुणों; जैसे–ताप, दाब आदि में समय के साथ कोई परिवर्तन नहीं होता है तो निकाय ऊष्मागतिक साम्य में कहलाता है। वास्तव में यह साम्य तभी प्राप्त होता है जब तीन साम्य एक साथ प्राप्त होते हैं। ये तीन साम्य निम्नवत् हैं-

  1. यांत्रिक साम्य-जब निकाय के अन्दर कोई स्थूल गति न हो या निकाय की परिवेश के सापेक्ष – कोई गति न हो तो निकाय यांत्रिक साम्य की स्थिति में कहलाता है। इसके लिए निकाय के यांत्रिक गुण एक समान तथा स्थिर होने चाहिए।

  2. रासायनिक साम्य-एक से अधिक पदार्थों वाला ऐसा निकाय जिसका संघटन समय के साथ परिवर्तित नहीं होता है, रासायनिक साम्य की अवस्था में कहलाता है।

  3. तापीय साम्य-जब किसी निकाय का ताप एक समान होता है तथा वह परिवेश के ताप के भी। समान होता है तो निकाय तापीय साम्य की अवस्था में कहलाता है। माना हमारे पास तीन निकाय A, B तथा C इस प्रकार हैं—A तथा B और B तथा C तापीय साम्य में हैं तब निकाय A तथा C भी तापीय साम्य में होंगे। यही ऊष्मागतिकी का शून्य नियम कहलाता है। इस नियम के अनुसार, “दो निकाय जो किसी तीसरे निकाय से तापीय साम्य में होते हैं उनमें आपस में भी तापीय साम्य होता है।”

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