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उत्प्रेरक की वरणक्षमता से आप क्या समझते हैं

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उत्प्रेरक की सक्रियता 

उत्प्रेरक की किसी अभिक्रिया के वेग को बढ़ाने की क्षमता उत्प्रेरकीय सक्रियता कहलाती है।
उदाहरणार्थ– H2(g) + \frac { 1 }{ 2 }O(g) → कोई अभिक्रिया नहीं
H(g) + \frac { 1 }{ 2 }O(g) + [Pt] → H2O (l) + [Pt] [विस्फोट के साथ तीव्र अभिक्रिया होती है।]

बहुत सीमा तक एक उत्प्रेरक की सक्रियता रसोवशोषण की प्रबलता पर निर्भर करती है। सक्रिय होने के लिए अभिकारक, उत्प्रेरक पर पर्याप्त प्रबलता से अधिशोषित होने चाहिए। यद्यपि वे इतनी प्रबलता से अधिशोषित नहीं होने चाहिए कि वे गतिहीन हो जाएँ एवं अन्य अभिकारकों के लिए उत्प्रेरक की सतह पर कोई स्थान रिक्त न रहे।

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