उत्प्रेरक की वरणक्षमता
किसी उत्प्रेरक की वरणात्मकता उसकी किसी अभिक्रिया को दिशा देकर एक विशेष उत्पाद बनाने की क्षमता है। उदाहरणार्थ– H2 एवं CO से प्रारम्भ करके एवं भिन्न उत्प्रेरकों के प्रयोग से हम भिन्न- भिन्न उत्पाद प्राप्त कर सकते हैं।
इसी प्रकार एथेनॉल का विहाइड्रोजनीकरण तथा निर्जलीकरण दोनों सम्भव हैं, परन्तु उचित उत्प्रेरक की। उपस्थिति में केवल एक अभिक्रिया ही होती है।
- CH3CH2OH CH3CHO + H2 (विहाइड्रोजनीकरण)
- CH3CH2OH CH2= CH2 + H2O (निर्जलीकरण)
अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उत्प्रेरक के कार्य की प्रकृति अत्यधिक विशिष्ट होती है अर्थात् कोई पदार्थ एक विशेष अभिक्रिया के लिए ही उत्प्रेरक हो सकता है, सभी अभिक्रियाओं के लिए नहीं। इसका अर्थ यह है कि एक पदार्थ जो एक अभिक्रिया में उत्प्रेरक का कार्य करता है, अन्य अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने में असमर्थ हो सकता है।