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Pratham Singh in Chemistry
अपोहन से आप क्या समझते हैं

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Deva yadav

अपोहन 

यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि घुलित पदार्थों के अणु व आयन चर्म-पत्र झिल्ली (parchment paper) में से सरलतापूर्वक विसरित हो जाते हैं, जबकि कोलॉइडी कण उसमें से विसरित नहीं हो पाते या कठिनाई से विसरित होते हैं।
चर्म- पत्र झिल्ली द्वारा कोलॉइडी विलयन में घुलित पदार्थों को पृथक् करने की विधि को अपोहन (dialysis) कहते हैं।

चर्म-पत्र झिल्ली से बनी एक थैली या किसी बेलनाकार पात्र, जिसे अपोहक (dialyser) कहते हैं, में कोलॉइडी विलयन भरकर उसे बहते हुए जल में निलम्बित करते हैं। कोलॉइडी विलयन में उपस्थित घुलित पदार्थ के कण झिल्ली में से होकर बहते जल के साथ बाहर निकल जाते हैं। कुछ दिनों में शुद्ध कोलॉइडी विलयन प्राप्त हो जाता है। अपोहन की दर को बढ़ाने के लिए विद्युत क्षेत्र भी प्रयुक्त किया जाता है जिसे विद्युत-अपोहन (electrodialysis) कहते हैं। अत: कोलॉइडी विलयनों के शोधन हेतु अपोहन विधि को प्रयुक्त करते हैं।

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