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Pratham Singh in Chemistry
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कोलॉइडी विलयनों के सामान्य भौतिक गुणों का वर्णन कीजिए।

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Deva yadav

कोलॉइडी विलयनों के सामान्य भौतिक गुण

  1. विषमांग प्रकृति – कोलॉइडी विलयन प्रकृति में विषमांग होते हैं तथा इनमें दो प्रावस्थाएँ-परिक्षिप्त । प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम होते हैं।
  2. स्थायित्व – सामान्यतः द्रवरागी सॉल तथा सूक्ष्म मात्रा में वैद्युत अपघट्य के उपस्थित होने पर द्रव-विरागी कोलॉइड स्थायी होते हैं तथा इनके परिक्षिप्त कण कुछ समय तक रखने पर नीचे नहीं बैठते हैं लेकिन लम्बे समय तक रखने पर बड़े आकार के कुछ कोलॉइडी कण बैठ जाते हैं।
  3. परिक्षिप्त कणों की दृश्यता – यद्यपि कोलॉइडी विलयन प्रकृति में विषमांग होते हैं लेकिन उनमें उपस्थित परिक्षिप्त कणों को नेत्रों द्वारा देखा जाना सम्भव नहीं है। नेत्रों द्वारा देखने पर ये समांग प्रतीत होते हैं। इसका कारण यह है कि नेत्र द्वारा देखे जाने वाले सबसे छोटे कणों की तुलना में भी कोलॉइडी कणों का आकार छोटा होता है। कोलॉइडी विलयनों के कणों को साधारण सूक्ष्मदर्शी द्वारा | भी नहीं देखा जा सकता है।
  4. छननता – अत्यन्त सूक्ष्म कणों की उपस्थिति के कारण कोलॉइडी विलयन सामान्य फिल्टर पेपर से पार हो जाते हैं, लेकिन जन्तु झिल्ली, सैलोफेन या अति सूक्ष्म फिल्टर से कोलॉइड़ी कण पार नहीं हो पाते हैं।
  5. रंग – कोलॉइडी विलयन का रंग परिक्षिप्त कणों के द्वारा प्रकीर्णित प्रकाश के तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त, प्रकाश का तरंगदैर्ध्य कणों के आकार एवं प्रकृति पर निर्भर करता है। कोलॉइडी विलयनों का रंग प्रेक्षक द्वारा प्रकाश को ग्रहण करने के तरीके पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए दूध एवं पानी का मिश्रण परावर्तित प्रकाश में देखने पर नीला एवं संचरित प्रकाश में देखने पर लाल दिखाई देता है। सूक्ष्मतम कणों वाले गोल्ड सॉल का रंग लाल होता है, जैसे- जैसे कणों का आकार बढ़ता जाता है यह बैंगनी, फिर नीला और अन्त में स्वर्णिम हो जाता है।

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