मौर्य प्रशासन
मेगस्थनीज की ‘इंडिका’ और कौटिल्य के अर्थशास्त्र’ से मौर्य प्रशासन तन्त्र की जानकारी मिलती है। चन्द्रगुप्त मौर्य के हाथ में शासन के सारे अधिकार थे। उसकी सहायता के लिए एक परिषद थी, जिसमें बुद्धिमान सदस्य राजा को सलाह देते थे।
प्रशासन के लिए साम्राज्य तीन स्तरों में बँटा
केन्द्र, प्रांत, जनपद (शहर और गाँव)। इस । समय नौकरशाही व्यवस्था थी। वेतन नकद राज्यकोष से दिया जाता था। राजा दौरा करके प्रांतों से लेकर गाँवों तक की खबर रखता था। गुप्तचर पूरे साम्राज्य की सूचना राजा को देते थे। बाहरी आक्रमण और आन्तरिक विद्रोह को दबाने के लिए पैदल, हाथी और घोड़ों से निर्मित थल सेना थी। कृषि कर, सिंचाई कर, व्यापार कर आय के मुख्य स्रोत थे। राज्य के जंगलों और खानों पर राज्य का स्वामित्व था। राज्य, सेना के लिए हथियारों का निर्माण करते थे। लगभग 2500 वर्ष पूर्व का यह मौर्यकालीन प्रशासनिक ढाँचा आज भी हमारे देश के ढाँचे से मिलता है।