पाषाण अर्थात पत्थर, काल अर्थात समय। मानव ने अपनी रक्षा और भूख मिटाने के लिए सर्वप्रथम पत्थर के औजारों का ही सबसे अधिक उपयोग किया, इसलिए इस युग को पाषाण काल कहते हैं। पत्थर से बने औजारों में समय-समय पर परिवर्तन हुए हैं, इसी आधार पर पाषाण युग को तीन भागों में बाँटा गया है- पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल।