असहयोग आन्दोलन
प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त होने पर अंग्रेजों द्वारा अपना वायदा पूरा न किए जाने पर महात्मा गांधी ने 1920 ई० में नया आन्दोलन छेड़ा, उसे ‘असहयोग आन्दोलन’ का नाम दिया गया। इस आन्दोलन का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सरकार को सहयोग न देना था। गांधी जी ने इस आन्दोलन को देश में अँग्रेजी शासन को ठप्प करने के उद्देश्य से चलाया था। इस आन्दोलन के कार्यक्रम को प्रस्तुत करते हुए महात्मा गांधी ने कहा था, “कांग्रेस के इस कार्यक्रम को लोग पूरा कर दें तो स्वराज्य एक ही वर्ष में पूरा हो जाएगा।”
असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम
गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम निम्न प्रकार प्रस्तुत किया था
- सरकारी शिक्षा संस्थाओं का बहिष्कार किया जाए।
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विधान मण्डल की बैठकों का बहिष्कार किया जाए।
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न्यायालयों का बहिष्कार हो।
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विदेशी वस्तुओं को त्याग दिया जाए तथा स्वदेशी वस्तुएँ अपनाई जाएँ।
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सरकारी नौकरियों तथा उपाधियों का त्याग किया जाए।
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देश में राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान स्थापित किए जाएँ।
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जन-जागरण के लिए सार्वजनिक सभाएँ तथा जुलूसों की व्यवस्था की जाए।