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Pratham Singh in इतिहास
झूम  कृषि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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Deva yadav

झूम कृषि

झूम कृषि एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका की एक पारंपरिक कृषि पद्धति है। इस तरह की कृषि में वनों के हिस्सों को बारी-बारी से काटा और जलाया जाता है। मानसून की पहली बरसात के बाद राख में बीज बो दिए जाते हैं और अक्टूबर-नवम्बर में फसल काट ली जाती है। इन भूखण्डों पर दो-एक साल खेती करने के बाद इन्हें 12 से 18 साल तक के लिए परती छोड़ दिया जाता है जिससे वहाँ फिर से जंगल पनप जाएँ। इन भूखंडों में मिश्रित फसलें उगायी जाती हैं। इसके कई स्थानीय नाम हैं जैसे-दक्षिण-पूर्व एशिया में लादिंग, मध्य अमेरिका में मिलपा, अफ्रीका में चितमने या तावी व श्रीलंका में चेना। हिंदुस्तान में घुमंतू खेती के लिए धया, पेंदा, बेवर, नेवड़, झूम, पोडू, खंदाद और कुमरी ऐसे ही कुछ स्थानीय नाम हैं।

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