कृषि मशीनों के विकास को किसानों पर प्रभाव
1. नवीन कृषि मशीनें कृषकों के लिए अभिशाप सिद्ध हुईं। अनेक किसानों ने इस आशा के साथ कृषि मशीनों को खरीदा कि गेहूँ के मूल्यों में तेजी बनी रहेगी। इन किसानों को बैंक सरलता पूर्वक ऋण दे देते थे। लेकिन इस ऋण को चुकाना उन किसानों के लिए कठिन होता था। बैंक ऋण समय पर न चुका पाने की स्थिति में किसान अपनी जमीनें गंवा बैठे। ऐसे में जीविकाविहीन किसानों को नए सिरे से रोजगार की तलाश करनी पड़ती थी।
2. इस समयावधि में निर्धन किसानों को सरलता से रोजगार नहीं मिल पाता था। बिजली से चलने वाली मशीनों के प्रचलन में आने से मजदूरों की माँग अत्यधिक घट गयी थी।
3. प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं की माँग घटने लगी, लेकिन उत्पादन ज्यादा होने से बाजार गेहूँ से पट गया। फलस्वरूप गेहूं का मूल्य गिरने लगा। गेहूं का निर्यात लगभग बंद हो गया। ज्यादातर किसानों के सम्मुख ऋणग्रस्तता का संकट उपस्थित हो गया। इस मंदी का प्रभाव समाज के सभी वर्गों पर पड़ा। 1930 ई. की विश्वव्यापी मंदी के लिए कृषि मंदी को महत्त्वपूर्ण कारण माना जाता है।