दक्षिण-पश्चिमी मानसून की उत्पत्ति के कारण
21 मार्च को सूर्य विषुवत रेखा पर लम्बवत् चमकता है तथा इसके पश्चात् वह कर्क रेखा की ओर बढ़ने लगता है। 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकती हैं, फलस्वरूप समस्त उत्तरी भारत में तापमाने अत्यधिक बढ़ जाता है। भारत का पाकिस्तान-सीमावर्ती क्षेत्र मरुस्थलीय होने के कारणऔर भी अधिक गर्म हो जाता है। इस अत्यधिक गर्मी के परिणामस्वरूप भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में निम्न वायुदाब के क्षेत्र उत्पन्न हो जाते हैं तथा पवनें हल्की होकर ऊपर उठ जाती हैं, फलस्वरूप इस भाग में पवनों का दबाव अत्यन्त कम हो जाता है।
इसके विपरीत हिन्द महासागर में तापमान निम्न होने के कारण वायुदाब उच्च हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि निम्न वायुदाब, उच्च वायुदाब को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। अर्थात् पवने महासागरों की ओर से स्थल-खण्डों की ओर चलने लगती हैं। सागर के ऊपर से चलने के कारण ये पवनें आर्द्रता से परिपूर्ण हो जाती हैं और दक्षिण से उत्तर की ओर चलना आरम्भ कर देती हैं,परन्तु जैसे ही ये पवने विषुवत् रेखा को पार करती हैं, पृथ्वी की दैनिक गति के कारण इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम हो जाती है, जो दक्षिण-पश्चिमी मानसून कहलाता है। इस प्रकार विपरीत वायुदाबों की उत्पत्ति ही दक्षिण-पश्चिमी मानसून की उत्पत्ति का प्रमुख कारण है।