पृथ्वी के घूर्णन के कारण ध्रुवों की ओर प्रवाहित होने वाली पवनें पूर्व की ओर विक्षेपित हो जाती हैं। इस तथ्य की खोज सर्वप्रथम फ्रांसीसी गणितज्ञ कोरिऑलिस ने की थी; अतः उन्हीं के नाम पर यह कोरिऑलिस बल कहलाता है।
इस बल के प्रभाव से उत्तरी गोलार्द्ध की पवन अपनी दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बाई ओर विक्षेपित हो जाती है। वास्तव में पवनों में यह विक्षेप पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है। कोरिऑलिस बल दाब प्रवणता के समकोण पर कार्य करता है। दाब प्रवणता बल समदाब रेखाओं के समकोण पर होता है। अतः दाब प्रवणता जितनी अधिक होती है पवनों का वेग उतना ही अधिक होगा और पवनों की दिशा उतनी ही अधिक विक्षेपित होगी। अतः यह बल पवनों की दिशा को प्रभावित करता