परिभाषा
जिस रचना में मात्राओं और वर्णों की विशेष व्यवस्था तथा संगीतात्मक लय और गति की योजना रहती है, उसे ‘छन्द’ कहते हैं
छंद के अंग
- वर्ण
- मात्रा
- पद
- यति
- तुक
- गण
छन्द के प्रकार
छन्द चार प्रकार के होते हैं-
- वर्णिक
- मात्रिक
- उभय
- मुक्तक या स्वच्छन्द
वर्णिक छन्द
जिन छन्दों की रचना वर्णों की गणना के आधार पर की जाती है उन्हें वर्णवृत्त या वर्णिक छन्द कहते हैं
मात्रिक छन्द
यह छन्द मात्रा की गणना पर आधृत रहता है, इसलिए इसका नामक मात्रिक छन्द है। जिन छन्दों में मात्राओं की समानता के नियम का पालन किया जाता है किन्तु वर्णों की समानता पर ध्यान नहीं दिया जाता, उन्हें मात्रिक छन्द कहा जाता है।
- चौपाई
- रोला (काव्यछन्द)
- दोहा
- सोरठा
- कुण्डलिया