नदियों का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य शैलचूर्ण या मलबे का स्थानान्तरण है। यह स्थानान्तरण नदी की घाटी में उसके उद्गम से मुहाने तक कहीं भी हो सकता है। यही स्थानान्तरण नदी का परिवहन कार्य कहलाता है। प्रत्येक नदी में परिवहन की एक सीमा होती है। इस सीमा से अधिक जलोढ़क होने पर नदी उसका परिवहन नहीं कर पाती है। वस्तुतः नदी के वेग, जल की मात्रा, प्रवणता आदि कारकों से नदी को जो शक्ति प्राप्त होती है उसमें घर्षण तथा अपरदन के पश्चात् जो शक्ति बचती है उससे परिवहन करती है। इससे निम्नांकित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है
परिवहन = नंदी की कुल शक्ति – घर्षण में नष्ट शक्ति – अपरदन में नष्ट शक्ति
गिलबर्ट के अनुसार नदी की परिवहन शक्ति उसके वेग में छठे घात के तुल्य होती है अर्थात् यदि नदी । का वेग दुगुना हो जाए तो उसकी परिवहन शक्ति 64 गुना बढ़ जाती है।