जब किसी वस्तु पर उसकी सतह के समांतर विरूपक बल इस प्रकार लगाया जाता है कि, उसका आयतन स्थिर रहे किंतु उसकी आकृति में परिवर्तन हो जाए तो इस प्रकार की वस्तु में उत्पन्न विकृति को अपरुपण विकृति कहते हैं।"
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