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विद्युत प्रतिरोध की परिभाषा क्या है प्रतिरोध किसे कहते है ? विमीय सूत्र , मात्रक , सूत्र क्या होता है ?

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विद्युत प्रतिरोध 

चालक द्वारा विद्युत धारा के प्रवाह में डाली गई रुकावट को चालक का विद्युत प्रतिरोध कहते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी चालक का प्रतिरोध इसके सिरो पर आरोपित विभवान्तर तथा उसमें बहने वाली धारा के अनुपात के बराबर होता है तथा यह एक अदिश राशि है। अर्थात् प्रतिरोध = विभवान्तर/धारा या R= V/I

जहां R किसी चालक का विद्युत प्रतिरोध है। निश्चित ताप पर दिये गये चालक के लिए इसका मान नियत होता है।

प्रतिरोध का मात्रक

इसका मात्रक वोल्ट/ऐम्पियर अथवा ओम होता है जिसे ग्रीक अक्षर Ω ओमेगा से व्यक्त किया जाता है। यदि किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट विभवान्तर लगाने पर चालक में 1 एंपियर धारा बहने लगे तो उसका प्रतिरोध ओम होता है। उच्च प्रतिरोध को किलो-ओम या मेगा-ओम में तथा अल्प प्रतिरोध को मिली-ओम या माइक्रो-ओम में नापते हैं।

1 किलो-ओम 10₃ ओम
1 मेगा-ओम 10⁶ ओम
1 मिली-ओम 10⁻³ ओम
1 माइक्रो-ओम 10⁻⁶ ओम

विमीय सूत्र

प्रतिरोध का विमीय सूत्र [ML²T⁻³A⁻²] है।

प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक

किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित चार कारकों पर निर्भर करता है। अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल पर, ताप पर, लंबाई पर, पदार्थ की प्रकृति पर।

चालक पदार्थ पर– एक ही ताप पर समान लंबाई तथा समान अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल वाले, लेकिन भिन्न-भिन्न पदार्थों के तारों का प्रतिरोध भिन्न-भिन्न होता है।

लंबाई पर– चालक का प्रतिरोध उसकी लंबाई के अनुक्रमानुपाती होता है। R ∝ l

अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल पर– अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल जितना अधिक होगा प्रतिरोध उतना ही कम होगा अर्थात चालक का प्रतिरोध उसके क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। R ∝ 1/A

ताप पर– ताप बढ़ाने से धात्विक चालकों का प्रतिरोध बढ़ता है।

नोट– एक लंबे व पतले तार का प्रतिरोध उसी धातु के छोटे व मोटे तार के प्रतिरोध की अपेक्षा अधिक होता है। यदि किसी तार को मोड़कर दोहरा कर दिया जाये तो उसका प्रतिरोध, प्रारंभिक प्रतिरोध का एक चौथाई रह जायेगा, क्योंकि l का मान आधा होने पर A का मान दोगुना हो जायेगा।

 

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