विद्युत द्विध्रुव
यदि दो आवेश जिनके बीच की दूरी बहुत कम है और दोनों पर विपरीत आवेश है और बराबर परिमाण है तो इस व्यवस्था को विद्युत द्विध्रुव कहेंगे विद्युत द्विध्रुव में एक धन आवेश और एक ऋण आवेश कम दूरी पर रखे होते हैं और दोनों आवेशों का परिमाण बराबर होता है
माना कि दो आवेश – q और +q रखे है इनके बीच की दूरी l है जो बहुत कम है तब इसे विद्युत द्विध्रुव कहेंगे और इनके बीच की दूरी को द्विध्रुव की लंबाई कहेंगे
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण का मान विद्युत द्विध्रुव के दो आवेशों में से किसी एक आवेश और दोनों आवेशों के बीच की दूरी ((यानि द्विध्रुव की लम्बाई) के गुणनफल के बराबर होता है यदि हम +q आवेश लेते हैं और द्विध्रुव की लंबाई यानी दोनों आवेशों के बीच की दूरी 2l है तब विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण
विद्युत द्विध्रुव का मात्रक कूलाम-मीटर है और इसका विमीय सूत्र ALT= M0 L T A होता है
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण की दिशा ऋण आवेश से धन आवेश की ओर होती है इसलिए यह एक सदिश राशि है
इसका द्विध्रुव अक्ष वह रेखा होती है जो दोनों आवेशों को मिलाती है द्विध्रुव कितना शक्तिशाली है यह विद्युत द्विध्रुव अघूर्ण के मान पर निर्भर करता है
उदाहरण
परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन यानी धनआवेश और ऋणआवेश होते हैं जिन्हें विद्युत क्षेत्र मे रखा जाता है तो इनके बीच थोड़ी दूरी आ जाती है तो एक विद्युत द्विध्रुव का निर्माण हो जाता है
कुछ अणु जैसे H2O,HCL के धनावेश और ऋणावेश के केंद्र के बीच जगह होती है इसलिए ये अणु विद्युत द्विध्रुव का काम करते है
विद्युत द्विध्रुव पर आवेश
दोनों आवेश विपरीत चिन्ह के बराबर आवेश होते है द्विध्रुव पर इसलिए कुल आवेश शून्य होगा पर इसके बीच की दूरी के कारण विद्युत क्षेत्र शून्य नही होगा
विद्युत द्विध्रुव के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र
विद्युत द्विध्रुव के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र को द्विध्रुव क्षेत्र कहते हैं विद्युत द्विध्रुव की विद्युत बल रेखाए ऊपर इमेज के जैसी होती है यही विद्युत द्विध्रुव का विद्युत क्षेत्र होता होगा विद्युत बल रेखाएं काल्पनिक होती है पर इनका व्यवहार वास्तविक होता है