ग्रीनहाउस गैसों का पृथ्वी के वायुमण्डल पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, क्योंकि ये गैसें पृथ्वी के लिए कंबल का कार्य करती हैं| यदि ये गैसें उपस्थित न हों और ये ताप का अवशोषण न करें तो पृथ्वी एक ठंडे ग्रह में बादल जाएगी और मानव जीवन अपने वर्तमान स्वरूप में नहीं रह पाएगा | अतः ग्रीनहाउस गैसें हमेशा से वायुमंडल में उपस्थित रही हैं और हमेशा से ग्रीनहाउस प्रभाव द्वारा पृथ्वी के एक निश्चित तापमान को बनाए रखा है | प्राकृतिक रूप से पायी जाने वाली ग्रीनहाउस गैसें पृथ्वी के तापमान को एकाएक नहीं बदलती हैं|
लेकिन 19वीं व 20वीं सदी में मानवीय गतिविधियों से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा के वायुमंडल में मिलने से वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होती गयी | इसका परिणाम वैश्विक तापन (Global Warming) व अन्य जलवायविक परिवर्तनों के रूप में वर्तमान में उपस्थित है | वैश्विक तापन से तात्पर्य पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत तापमान में वृद्धि होना है |
ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :
- औद्योगिकीकरण
- नगरीकरण
- उपभोक्तावादी संस्कृति
- वाहनों में जीवाश्म ईंधनों के जलने से उत्पन्न धुआँ
- वनों का विनाश