भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है। धरातली हलचलों जैसे पत्थर खिसकना या गिरना, पथरीली मिटटी का बहाव, इत्यादि इसके अंतर्गत आते है।
भू-स्खलन कई प्रकार के हो सकते हैं और इसमें चट्टान के छोटे-छोटे पत्थरों के गिरने से लेकर बहुत अधिक मात्रा में चट्टान के टुकड़े और मिटटी का बहाव शामिल हो सकता है तथा इसका विस्तार कई किलोमीटर की दूरी तक हो सकता है। भारी वर्षा तथा बाढ़ या भूकम्प के आने से भू-स्खलन हो सकता है। मानव गतिवधियों, जैसे कि पेड़ों और वनस्पति के हटाने, सड़क किनारे खड़ी चट्टान के काटने या पानी के पाइपों में रिसाव से भी भू-स्खलन हो सकता है।
‘किसी भू-भाग के ढाल पर मिट्टी तथा चट्टानों के ऊपर से नीचे की ओर खिसकने, लुढ़कने या गिरने की प्रक्रिया को भूस्खलन कहा जाता है।’’
अथवा
‘‘आधार चट्टानों या आवरण स्तर का भारी मात्रा में नीचे की ओर खिसकना भूस्खलन कहलाता है।’’