पंचसिद्धान्तिका, बृहत्संहिता और वृहतजातक के लेखक वराहमिहिर थे। इन पुस्तकों में त्रिकोणमिति के महत्वपूर्ण सूत्र दिये है जो वराहमिहिर के त्रिकोणमिति ज्ञान के परिचायक है। इनकी पुस्तक पंचसिद्धान्तिका (पांच सिद्धान्त) ने उन्हें फलित ज्योतिष में वही स्थान दिलाया है जो राजनीति दर्शन में कौटिल्य का, व्याकरण में पाणिनी का और विधान में मनु का है।
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