मुझे बचपन में अनेक बार रामलीला देखने का अवसर मिला। मुझे सबसे अधिक मार्मिक प्रसंग लगा-लक्ष्मण-मूछ का। श्री राम जब छोटे भाई लक्ष्मण को मूर्छित देखते हैं तो भावुक हो उठते हैं। उनकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगती हैं। तब हनुमान सुषेण नामक वैद्य को अपने कंधों पर उठा लाते हैं। सुषेण के कहने पर हनुमान हिमालय जाकर संजीवनी बूटी ले आते हैं। इस अवसर पर राम की अधीरता, विलाप और हनुमान के आने पर खुशी देखकर मैं भावमुग्ध हो जाता हूँ। करुणा भरा यह प्रसंग मुझसे आज भी भुलाए नहीं भूलता।।