1920 ई. में आर्य समाज ने स्वामी श्रद्धानन्द के नेतृत्व में शुद्धि आन्दोलन चलाया। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को पुनः हिंदू धर्म मे प्रवेश करने की प्रेरणा देकर शुद्धि आन्दोलन चलाया था। इस आन्दोलन के तहत लाखों मुसलमानों तथा ईसाइयों की शुद्धि कराकर सत्य सनातन वैदिक धर्म में वापसी कराई थी। 11 फरवरी 1923 को स्वामी श्रद्धानन्द ने 'भारतीय शुद्धि सभा' की स्थापना की और शुद्धि का कार्य आरम्भ किया था।
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