स्वामी विवेकानंद ने कहा था मेरे बन्धुओं यह मत भूलों कि निचले वर्ग के लोग, गरीब, अशिक्षित, मोची, सफाई करने वाले तुम्हारा ही हाड़-मास हैं, तुम्हारे बान्धव हैं"स्वामी विवेकानन्द एक युवा संन्यासी के रूप में भारतीय संस्कृति की सुगन्ध विदेशों में बिखेरने वाले साहित्य, दर्शन और इतिहास के प्रकाण्ड विद्वान् थे। विवेकानन्द जी का मूल नाम 'नरेंद्रनाथ दत्त' था, जो कि आगे चलकर स्वामी विवेकानन्द के नाम से विख्यात हुए।
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