in सामान्य हिन्दी
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इस पाठ का शीर्षक ‘दु:ख का अधिकार के बारे में बताओ |

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इस पाठ का शीर्षक है दुःख का अधिकार। यह शीर्षक एकदम उचित है। लेखक यह कहना चाहता है कि यद्यपि दुःख प्रकट करना हर व्यक्ति का अधिकार है। परंतु हर कोई इसे संभव नहीं कर पाता। एक महिला संपन्न है। उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं है। उसके पास पुत्र शोक मनाने के लिए डॉक्टर हैं, सेवा-कर्मी हैं, साधन हैं, धन है, समय है। परंतु गरीब लोग अभागे हैं। वे चाहें भी तो शोक प्रकट करने के लिए आराम से दो आँसू नहीं बहा सकते। सामने खड़ी भूख, गरीबी और बीमारी नंगा नाच करने लगती है। अतः दु:ख प्रकट करने का अधिकार गरीबों को नहीं है।

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