बाज़ार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें बना रहे थे। कोई उसे बेहया कह रहा था। किसी ने कहा कि उस स्त्री की नीयत ही ठीक नहीं है। एक आदमी ने कहा कि यह कमीनी औरत है जिसके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान कुछ नहीं है। उसके लिए रोटी का टुकड़ा ही सब कुछ है। एक लाला जी ने कहा कि यह औरत औरों का धर्म-ईमान बिगाड़कर अँधेर मचा रही है। पुत्र शोक के कारण यह सूतक में है। इसलिए उसे इन दिनों में कोई सामान नहीं छूना चाहिए।