कल मैं पहली बार अपनी बहन की ससुराल में गया। मुझे देखते ही मेरे भानजे ने एक किलकारी मारी और मुझे निहारने लगा। मैं उसकी आँखों में प्रसन्नता देखकर उसकी ओर लपका। जैसे ही मैंने उसे अपनी बहन से लेना चाहा, उसने बड़े नटखट अंदाज़ में मेरी ओर से मुँह फेर लिया। मैं मुड़कर पीछे गया तो उसने फिर-से मुँह फेर लिया। मैंने हाथों के स्पर्श से उसे गोद में लेना चाहा तो वह फिर-से माँ की गोदी में छिपने लगा। अब मैंने उसे छोड़ दिया और दूर जाकर खड़ा हो गया। अब वह फिर से उचककर मेरी ओर देखने लगा और हँसने लगा। सचमुच मेरा भानजा बहुत नटखट है। न आता है, न दूर जाने देता है। उसे आँखमिचौली खेलने में यों ही आनंद आता है।