बालगोबिन भगत प्रभु-भक्ति के मस्ती-भरे गीत गाया करते थे। उनके गानों में सच्ची टेर होती थी। उनका स्वर इतना मोहक, ऊँचा और आरोही होता था कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें उस गीत को गुनगुनाने लगती थीं। खेतों में काम करने वाले किसानों के हाथ और पाँव एक विशेष लय में चलने लगते थे। उनके संगीत में जादुई प्रभाव था। वह मनमोहक प्रभाव सारे वातावरण पर छा जाता था। यहाँ तक कि घनघोर सर्दी और गर्मियों की उमस भी उन्हें डिगा नहीं पाती थी।