बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों को हैरान कर देती थी। वे भगत जी की सरलता, सादगी और निस्वार्थता पर हैरान होते थे। भगत जी भूलकर भी किसी से कुछ नहीं लेते थे। वे बिना पूछे किसी की चीज छूते भी नहीं थे। यहाँ तक कि किसी दूसरे के खेत में शौच भी नहीं करते थे। लोग उनके इस खरे व्यवहार पर मुग्ध थे। लोग भगत जी पर तब और भी आश्चर्य करते थे जब वे भोरकाल में उठकर दो मील दूर स्थित नदी में स्नान कर आते थे। वापसी पर वे गाँव के बाहर स्थित पोखर के किनारे प्रभु-भक्ति के गीत टेरा करते थे। उनके इन प्रभाती-गानों को सुनकर लोग सचमुच हैरान रह जाते थे।