बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को उनके साथ रहकर, उनकी सिखाई हुई बातों में रुचि लेकर, उनके साथ खेल करके, उन्हें चूमकर, उनकी गोद में या कंधे पर बैठकर प्रकट करते हैं।
मेरे माता-पिताजी की बीसवीं वर्षगाँठ थी। मैंने उनके बीस वर्ष पुराने युगल-चित्र को सुंदर से फ्रेम में सजाया और उन्हें भेंट किया। उसी दिन मैं उनके लिए अपने हाथों से सब्जियों का सूप बनाकर लाई और उन्हें आदरपूर्वक दिया। माता-पिता मेरा यह प्रेम देखकर बहुत प्रसन्न हुए।