वोट का अधिकार : इसमें सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुने सदस्य और लोकसभा सांसद वोट डालते हैं, लेकिन राष्ट्रपति द्वारा संसद में नामित सदस्य वोट तथा राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य नहीं डाल सकते । क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते।
सिंगल ट्रांसफरेबल : इस चुनाव में एक खास तरीके से वोटिंग होती है, जिसे 'सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम' कहते हैं। यानी वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह राष्ट्रपति चुनाव में भाग ले रहे सभी उम्मीदवारों में से अपनी प्राथमिकता तय कर देता है।
वोट देने वाला बैलेट पेपर पर अपनी पसंद को पहले, दूसरे तथा तीसरे क्रमानुसार बताता है। यदि पहली पसंद वाले उम्मीदवार के वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है।
अनुपातिक व्यवस्था : वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है। दो राज्यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग होता है। यह वेटेज जिस तरह तय होता है, उसे अनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं।