बाबर ने अपनी आत्मकथा तुर्की भाषा में लिखी थी | बाबरनामा को मुख्यत: तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहला दौर 1494 में फरगाना के राजा बनने से लेकर 1503 तक का है। इस दौरान उसे अपना पैत्रिक राज्य गंवाना पड़ा। दूसरा दौर 1504 में काबुल का शासक बनने से लेकर 1525 तक का दौर है। अप्रैल, 1526 में दिल्ली का बादशाह बनने के बाद से लेकर सितंबर,1529 तक भारत के पूर्वी हिस्सों में सत्ता का विस्तार आत्मकथा का अंतिम दौर है।