शेरशाह के समय में भू - राजस्व दर उपज का 1/3 भाग भू-राजस्व के रूप में वसूला गया था | मुल्तान से पैदावार का 1/4 भाग भू-राजस्व के रूप में लिया गया। शेरशाह के प्रशासन की सबसे बड़ी विशेषता उसकी भू-राजस्व व्यवस्था थी। दौलते-शेर शाही के फरमान सं0 10 से पता चलता है कि शेरशाह ने समस्त भूमि की माप करवाई, भूमि के माप के लिए 32 अंको वाले सिन्कदरे गज का प्रयोग किया गया। माप का आधार बीघा माना गया। भूमि को तीन भागों में बांटा गया, अच्छी, औसत एवं खराब तीनों प्रकार की भूमियों की खरीफ एवं रबी की फसलों का औसत अनुमान लगाया गया |