घर्षण द्वारा आवेश की घटनाएँ आवेश संरक्षण के नियम के पूर्ण सामंजस्य में हैं। जब ऐसी घटना में दो तटस्थ वस्तुओं को रगड़ा जाता है, तो दोनों वस्तुएँ आवेशित हो जाती हैं। घर्षण से पहले दोनों वस्तुएँ उदासीन होती हैं अर्थात् उनका कुल आवेश शून्य होता है। ऐसे सभी प्रेक्षणों में हमेशा यह पाया गया है कि एक वस्तु पर जितना अधिक धनात्मक आवेश होता है, उतनी ही दूसरी वस्तु पर ऋणात्मक आवेश होता है। इस प्रकार घर्षण द्वारा आवेशित होने पर भी दोनों वस्तुओं का शुद्ध आवेश शून्य रहता है।