जब पौधे के भाग जैसे तना अथवा टहनी की वृध्दि या गति प्रकाश की उपस्थिति में होती है तथा वह प्रकाश की ओर झुकता है, तो इसे धनात्मक प्रकाशनुवर्तन कहते हैं और जब यह वृध्दि/गति प्रकाश की अनुपस्थिति में होती है तथा पौधे की जड़ें प्रकाश से दूर जाती हैं , तो इसे ऋणात्मक प्रकाशवर्तन कहते हैं |