पारिस्थितिकी (अंग्रेज़ी:इकोलॉजी) जीवविज्ञान व भूगोल की एक शाखा है जिसमें जीव समुदायों का उसके वातावरण के साथ पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करतें हैं। प्रत्येक जन्तु या वनस्पति एक निशिचत वातावरण में रहता है।
पारिस्थितिकी को एन्वायरनमेंटल बायोलॉजी भी कहा जाता है। इस विषय में व्यक्ति, जनसंख्या, समुदायों और इकोसिस्टम का अध्ययन होता है।
इकोलॉजी अर्थात पारिस्थितिकी (जर्मन: Oekologie) शब्द का प्रथम प्रयोग १८६६ में जर्मन जीववैज्ञानिक अर्नेस्ट हैकल ने अपनी पुस्तक "जनरेल मोर्पोलॉजी देर ऑर्गैनिज़्मेन" में किया था।
सभी पारिस्थितिक तंत्र में दो घटक होते हैं-
पारिस्थितिकी का दायरा बहुत बड़ा है, और इसमें पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव और उनके भौतिक और रासायनिक परिवेश शामिल हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र दो प्रकार का होता है:
- स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र
- जलीय पारिस्थितिकी तंत्र
पारिस्थितिकीय अध्ययन के स्तर
पारिस्थितिकी सजीवों और उनके निर्जीव पर्यावरण के मध्य संबंधों का अध्ययन अलग-अलग स्तरों या पैमानों पर करती है। एक जीवित कोशिका से लेकर अंग, जीवधारी, जनसंख्या, समुदाय, पारितंत्र, बायोम और जैवमंडल तक जीवों और उनके पर्यावरण के बीच अन्तर्क्रियाओं के अलग-अलग रूप और विकास देखने को मिलते हैं। अतः पारिस्थितिकीय अध्ययन के स्तरों में प्रमुख हैं:
- जीव और उसका पर्यावरण
- जनसंख्या पारिस्थितिकी - प्रजाति और उसके पर्यावरण का अध्ययन
- समुदाय पारिस्थितिकी
- पारितंत्र पारिस्थितिकी
- भूदृश्य पारिस्थितिकी
- बायोम या जीवोम पारिस्थितिकी
पारिस्थितिकी का महत्व क्या है?
पारिस्थितिकी हमारी दुनिया को समृद्ध बनाती है और मानव कल्याण और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है । यह लोगों और प्रकृति के बीच परस्पर निर्भरता का नया ज्ञान प्रदान करता है जो खाद्य उत्पादन, स्वच्छ हवा और पानी को बनाए रखने और बदलती जलवायु में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
- पारिस्थितिकी तंत्र जीवमंडल की सबसे छोटी इकाई है।
पृथ्वी के वातावरण चार घटकों अर्थात् स्थलमंडल, जैवमंडल, जलमण्डल और वायुमंडल में शामिल है। चूंकि जीवमंडल एक साथ जुड़े पारिस्थितिक तंत्रों के समूह से बना है, इसलिए पारिस्थितिकी तंत्र को "जीवमंडल की सबसे छोटी इकाई" माना जाता है।