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Pratham Singh in Science
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इलेक्ट्रॉन विन्यास से आप क्या समझते  है

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Isha
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इलेक्ट्रॉन विन्यास (Electron Configuration) एक तत्व के परमाणु में प्रदर्शित इलेक्ट्रॉनों के स्थान की विवरण होता है। इससे हम जान सकते हैं कि एक परमाणु के अल्पक और विपरीत चारणों में इलेक्ट्रॉन कहां स्थित हैं और कितने इलेक्ट्रॉन उस तत्व के आवर्ती चारण में हैं।

परमाणु भौतिकी एवं प्रमात्रा रासायनिकी में, किसी अणु, परमाणु या किसी अन्य भौतिक संरचना में इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था को वैद्युतिक विन्यास कहते हैं। वैद्युतिक विन्यास में इलेक्ट्रॉन को किसी परमाणु या आणविक तन्त्र में वितरित करने का तरीका दिया गया होता है।

इलेक्ट्रॉन विन्यास का प्राथमिक उद्देश्य है तत्व की आवर्ती चारणों में इलेक्ट्रॉनों की स्थिति को प्रदर्शित करना, जिससे हम तत्व के रासायनिक गुण और उपयोग की समझ प्राप्त कर सकते हैं।

इलेक्ट्रॉन विन्यास का प्रारूप आमतौर पर इस तरीके से होता है:

  • 1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁶ 4s² 3d¹⁰ 4p⁶ 5s² 4d¹⁰

यहाँ, प्रत्येक संख्या और अक्षर का मतलब होता है:

  • संख्या: इलेक्ट्रॉन की प्रमुख क्वांटम संख्या, जिसे प्राथमिक और द्वितीय कांश कहा जाता है।
  • अक्षर: उपक्षारक और उपचारक क्वांटम संख्या, जिससे आवर्ती चारण का प्रकार और उप-चारण की परिमाण का पता चलता है।

उदाहरण के तौर पर, 1s² इलेक्ट्रॉन की प्रमुख क्वांटम संख्या 1 होती है, और यह दिखाता है कि प्रथम आवर्ती चारण में 2 इलेक्ट्रॉन हैं।

इस तरीके से, हम किसी तत्व के परमाणु में पूरे इलेक्ट्रॉन की संख्या और उनके स्थान के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे हम उस तत्व के रासायनिक गुणवत्ता को समझ सकते हैं।

Electronic Vinyas 1 to 30

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखने के नियम बताइए

तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को बनाने के लिए वैज्ञानिक बोहर और बरी ने कुछ नियम प्रस्तुत किए थे जिन्हें हम अब आपको इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्या है आर्टिकल के अंदर बताने वाले हैं की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास कैसे निकालते हैं। यह कुछ नियम इस प्रकार है –

  • सर्वप्रथम कैसी तत्वों का Electronic Configuration ज्ञात करने के लिए हमें उस तत्व के परमाणु में उपस्थित कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या को ज्ञात करना होता है।
  • इन इलेक्ट्रॉनों की संख्या को ज्ञात करने के लिए हमें 2n² नियम लगाना पड़ेगा। जहां पर n का मान उस कक्षा की क्रम संख्या है। परमाणु की पहली कक्षा के लिए n का मान 1 के बराबर होगा। तो पहले कक्षक में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या होती है। इसी प्रकार n का मान दूसरी कक्षा के लिए दो होता है और इसमें इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या आठ होती है तथा इसी प्रकार और भी ज्ञात करने पर तीसरी तथा चौथी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 18 और 32 होती है।
  • परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 से अधिक और इससे पहले की कक्षा अर्थात अंतिम दूसरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 18 से अधिक नहीं हो सकती है।
  • अगर हम आपको इसे एक उदाहरण से समझाएं तो पोटेशियम का परमाणु नंबर 19 होता है, तो इस में इलेक्ट्रॉन भी 19 होते हैं। हम इसके लेक्टोनिक विन्यास 2, 8, 9 नहीं लिख सकते हैं।
  • अब हम आपको बता दें कि परमाणु की प्रथम कक्षा में कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2 हो सकती है। जब यह दोनों इलेक्ट्रॉन भर जाते हैं तब दूसरी कक्षा में इलेक्ट्रॉन भरना शुरू हो जाते हैं।
  • सबसे बाहरी कक्षा अर्थात Outermost Orbit में दो से ज्यादा तभी इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं जब सब से बाहर बाली कक्षा से पहले वाली कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या का मान 2n² नियम से अधिक हो जाए। इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं। टाइटेनियम में कुल इलेक्ट्रॉन 22 होते हैं, जब हम इसका Electronic Configuration बनाते हैं तो पहली कक्षा में दो इलेक्ट्रॉन भरे जाते हैं दूसरी कक्षा में आठ Electron भरे जाते हैं तथा तीसरी कक्षा में 8 Electron भरने शुरू हो जाते हैं। अब तीसरी कक्षा में इलेक्ट्रॉन भरने के पश्चात हमारे पास दो इलेक्ट्रॉन शेष बचते हैं चौथी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2 से अधिक नहीं हो सकती और तीसरी कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन उपस्थित है तथा 2n² नियम के अनुसार इसमें कुल अधिकतम 18 इलेक्ट्रॉन ही हो सकते हैं तब बचे हुए दो इलेक्ट्रॉन हमें तीसरी कक्षा में भेजने पड़ते हैं और इस प्रकार टाइटेनियम तत्व का Electronic Configuration 2, 8, 18, 2 होता है।

 

बोर बरी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के अपवाद

कुछ तत्व ऐसे होते हैं जो बोर बरी के नियम का पालन नहीं करते हैं। इसका उदाहरण क्रोमियम और कॉपर है। क्रोमियम का परमाणु क्रमांक 24 होता है, कॉपर का परमाणु क्रमांक 29 होता है। इन दोनों के Electronic Configuration बोर बरी नियम के अनुसार नहीं बनते हैं तथा उससे भिन्न पाए जाते हैं। 

बोर बरी के नियम के अनुसार क्रोमियम का Electronic Configuration की रचना 2, 8, 12, 2 होनी चाहिए परंतु जब इसका वास्तविक इलेक्ट्रॉनिक विन्यास देखा गया तो यह 2, 8, 13, 1 निकला। और इसी प्रकार कॉपर का Electronic Configuration भी बोर बरी के नियम के अनुसार 2, 8, 17, 2 से भिन्न 2, 8, 18, 1 होकर होता है।

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