माटी हो गई सोना के लेखक/रचयिता
माटी हो गई सोना (Maati Ho Gai Sona) के लेखक/रचयिता (Lekhak/Rachayitha) "कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'" (Kanhaiyalal Mishra Prabhakar) हैं।
Maati Ho Gai Sona (Lekhak/Rachayitha)
नीचे दी गई तालिका में माटी हो गई सोना के लेखक/रचयिता को लेखक तथा रचना के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। माटी हो गई सोना के लेखक/रचयिता की सूची निम्न है:-
रचना/रचना |
लेखक/रचयिता |
माटी हो गई सोना |
कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' |
Maati Ho Gai Sona |
Kanhaiyalal Mishra Prabhakar |
माटी हो गई सोना किस विधा की रचना है?
माटी हो गई सोना (Maati Ho Gai Sona) की विधा का प्रकार "संस्मरण" है।
कन्हैयालाल मिश्र का जन्म 29 मई, 1906 ई. में सहारनपुर ज़िले के देवबन्द ग्राम में हुआ था। कन्हैयालाल का मुख्य कार्यक्षेत्र पत्रकारिता था। प्रारम्भ से भी राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों में गहरी दिलचस्पी लेने के कारण कन्हैयालाल को अनेक बार जेल- यात्रा करनी पड़ी। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कन्हैयालाल ने बराबर कार्य किया है। कन्हैयालाल मिश्र का निधन 9 मई 1995 को हुआ।
रचनाएँ
प्रभाकर की अब तक सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें
- 'नयी पीढ़ी, नये विचार' (1950)
- 'ज़िन्दगी मुस्करायी' (1954)
- 'माटी हो गयी सोना' (1957), कन्हैयालाल के रेखाचित्रों के संग्रह है।
- 'आकाश के तारे- धरती के फूल' (1952) प्रभाकर जी की लघु कहानियों के संग्रह का शीर्षक है।
- 'दीप जले, शंख बजे' (1958) में, जीवन में छोटे पर अपने- आप में बड़े व्यक्तियों के संस्मरणात्मक रेखाचित्रों का संग्रह है।
- 'ज़िन्दगी मुस्करायी' (1954) तथा
- 'बाजे पायलिया के घुँघरू' (1958) नामक संग्रहों में आपके कतिपय छोटे प्रेरणादायी ललित निबन्ध संग्रहीत हैं।
सहज, सरस संस्मरणात्मक शैली में लिखी गयी प्रभाकर जी की सभी कृतियाँ ज्ञानपीठ से प्रकाशित हैं। उनके संस्मरणात्मक निबंध संग्रह दीप जले शंख बजे, ज़िंदगी मुस्कराई, बाजे पायलिया के घुंघरू, ज़िंदगी लहलहाई, क्षण बोले कण मुस्काए, कारवां आगे बढ़े, माटी हो गई सोना गहन मानवतावादी दृष्टिकोण और जीवन दर्शन के परिचायक हैं।
पूरा नाम |
कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' |
जन्म |
29 मई, 1906 |
जन्म भूमि |
देवबन्द, सहारनपुर |
मृत्यु |
9 मई 1995 |
कर्म भूमि |
भारत |
कर्म-क्षेत्र |
पत्रकार, निबंधकार |
मुख्य रचनाएँ |
'नयी पीढ़ी, नये विचार', 'ज़िन्दगी मुस्करायी', 'माटी हो गयी सोना' आदि। |
भाषा |
हिंदी |
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