बाजे पायलिया के घुँघरू के लेखक/रचयिता
बाजे पायलिया के घुँघरू (Baaje Paayaliya Ke Ghungharoo) के लेखक/रचयिता (Lekhak/Rachayitha) "कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'" (Kanhaiyalal Mishra Prabhakar) हैं।
Baaje Paayaliya Ke Ghungharoo (Lekhak/Rachayitha)
नीचे दी गई तालिका में बाजे पायलिया के घुँघरू के लेखक/रचयिता को लेखक तथा रचना के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। बाजे पायलिया के घुँघरू के लेखक/रचयिता की सूची निम्न है:-
रचना/रचना |
लेखक/रचयिता |
बाजे पायलिया के घुँघरू |
कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' |
Baaje Paayaliya Ke Ghungharoo |
Kanhaiyalal Mishra Prabhakar |
बाजे पायलिया के घुँघरू किस विधा की रचना है?
बाजे पायलिया के घुँघरू (Baaje Paayaliya Ke Ghungharoo) की विधा का प्रकार "ललित निबन्ध संग्रह" है।
कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' : एक प्रसिद्ध निबंधकार
कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' हिन्दी साहित्य के एक प्रसिद्ध निबंधकार थे। उनका जन्म 29 मई 1906 को सहारनपुर जिले के देवबन्द ग्राम में हुआ था।
मुख्य कार्यक्षेत्र:
- पत्रकारिता: प्रभाकर जी का मुख्य कार्यक्षेत्र पत्रकारिता था। उन्होंने 'ज्ञानोदय' पत्रिका का सम्पादन भी किया।
- निबंध: प्रभाकर जी हिन्दी के जाने-माने निबंधकार थे। उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक जीवन से संबंध रखने वाले अनेक निबंध लिखे।
- लेखन: प्रभाकर जी ने नये लेखकों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया।
जीवन परिचय:
- जन्म: 29 मई 1906, देवबन्द, सहारनपुर
- मुख्य कार्यक्षेत्र: पत्रकारिता, निबंध
- प्रसिद्ध रचनाएं: 'ज्ञानोदय' पत्रिका, 'नयी पीढ़ी, नये विचार', 'ज़िन्दगी मुस्करायी', 'माटी हो गयी सोना'
- पुरस्कार: साहित्य अकादमी पुरस्कार (1978)
- मृत्यु: 9 मई 1995
प्रमुख विशेषताएं:
- सरल भाषा: प्रभाकर जी की भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली थी।
- व्यंग्य और हास्य: प्रभाकर जी के लेखन में व्यंग्य और हास्य का भी प्रयोग होता था।
- विषयों की विविधता: प्रभाकर जी ने विभिन्न विषयों पर लिखा।
- सामाजिक चेतना: प्रभाकर जी के लेखन में सामाजिक चेतना भी थी।
प्रमुख रचनाएं:
- 'नयी पीढ़ी, नये विचार'
- 'ज़िन्दगी मुस्करायी'
- 'माटी हो गयी सोना'
- 'आकाश के तारे धरती के फूल'
- 'क्षण बोले कण मुसकाये'
- 'महके आँगन चहके द्वार'
- 'दीप जले शंख बजे'
- 'ज़िन्दगी लहलहायी'
- 'बाजे पायलिया के घुँघरू'
- 'कारवाँ आगे बढ़े'
पुरस्कार:
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1978)
मृत्यु:
प्रभाकर जी का 9 मई 1995 को निधन हो गया।
प्रभाकर की अन्य रचनाएं
- 'नयी पीढ़ी, नये विचार' (1950)
- 'ज़िन्दगी मुस्करायी' (1954)
- 'माटी हो गयी सोना' (1957), कन्हैयालाल के रेखाचित्रों के संग्रह है।
- 'आकाश के तारे- धरती के फूल' (1952) प्रभाकर जी की लघु कहानियों के संग्रह का शीर्षक है।
- 'दीप जले, शंख बजे' (1958) में, जीवन में छोटे पर अपने- आप में बड़े व्यक्तियों के संस्मरणात्मक रेखाचित्रों का संग्रह है।
- 'ज़िन्दगी मुस्करायी' (1954) तथा
- 'बाजे पायलिया के घुँघरू' (1958) नामक संग्रहों में आपके कतिपय छोटे प्रेरणादायी ललित निबन्ध संग्रहीत हैं।
आशा है कि आप "बाजे पायलिया के घुँघरू नामक रचना के लेखक/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको बाजे पायलिया के घुँघरू के लेखक/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो तो उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।