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Pratham Singh in Biology
अग्नाशय के बहिःस्रावी तथा अंतःस्रावी कार्य को समझाइए।

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Deva yadav

अग्नाशय के बहिःस्रावी तथा अंतःस्रावी के कार्य

अग्नाशये एक बहिःस्रावी तथा अन्तःस्रावी दोनों प्रकार की ग्रन्थि है। इसे मिश्रित ग्रन्थि (Mixed gland) भी कहते हैं। अग्नाशय पाचक ग्रन्थि होने के कारण इसे बहि:स्रावी ग्रन्थि कहते हैं क्योंकि इससे निर्मित पाचक एन्जाइम नलिका (अग्नाशय नलिका) के माध्यम से ग्रहणी में पहुँचता है अर्थात् यह एक नलिकायुक्त ग्रन्थि है इसलिए इसे बहिःस्रावी ग्रन्थि कहते हैं।

इसके साथ ही इसमें लैंगरहेन्स की द्वीपिका की उपस्थिति के कारण इसे अन्त:स्रावी ग्रन्थि कहते हैं। इससे स्रावित होने वाले दो हार्मोन जिन्हें क्रमश: इन्सुलिन व ग्लूकोगॉन कहते हैं। इन्सुलिन का प्रमुख कार्य ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में परिवर्तित कर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना है जबकि ग्लूकोगॉन इसके विपरीत ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तन को नियंत्रित करता है ताकि रक्त में शर्करा का स्तर सही बना रहे। किसी कारण से यदि रक्त में इन्सुलिन की कमी हो जाए तो रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है तथा मधुमेह नामक रोग उत्पन्न हो जाता है। इनमें नलिकाओं का अभाव होता है अतः अन्त:स्रावी ग्रन्थि के रूप में कार्य करती है।

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