पेशी ऊतक के प्रकार
1. अरेखित पेशी ऊतक
यह अनैच्छिक पेशी ऊतक है। ये पेशियाँ कार्यिकी व वातावरणों के अनुसार संकुचित होती हैं। ये पेशियाँ कंकाल से सम्बन्धित नहीं होती हैं। इन्हें विसरल पेशियाँ भी कहते हैं। ये पेशियाँ आहारनाल, श्वासनली, गर्भाशय, पित्ताशय, रुधिरवाहिनी, शिश्न आदि में मिलती हैं। अरेखित पेशियों के तन्तु 100-200μ लम्बे तथा 10μ चौड़े होते हैं। ये पतले तथा तरूपी होते हैं। तन्तु के ऊपर कोशिका कला मिलती है। इसको सारकोलेमा कहते हैं। तन्तु का द्रव सारकोप्लाज्म कहलाता है। इसमें एक्टिन व मायोसिन प्रोटीन के समानांतर. पेशी तन्तु मिलते हैं।
2. रेखित पेशी ऊतक
ये पेशियाँ अंगों में इच्छानुसार गति को नियन्त्रित करती हैं। इन्हें ऐच्छिक पेशियाँ कहते हैं। ये पेशियाँ कंकाल से जुड़ी होती हैं। हाथ, पैर व शरीर की गति को संचालित करने के कारण इन्हें कंकालीय पेशी अथवा दैहिक पेशी भी कहते हैं। ये पेशियाँ गर्दन, हाथ, पैर, उदर आदि सभी अंगों में मिलती हैं। ये तन्तु संयोज़ी ऊतक तथा कोलेजन तन्तुओं के आवरण से आच्छादित होती हैं। इसे एन्डोमायोसियम कहते हैं। प्रत्येक तन्तु बेलनाकार तथा 1-30 μ लम्बा तथा 10-100 μ व्यास का होता है। इसके आवरण को सारकोलेमा कहते हैं। सारकोलेमा त्रिस्तरीय होता है। सारकोप्लाज्म में मायोफाइब्रिल मिलती है। रेखित पेशियों में एक्टिन तथा मायोसिन प्रोटीन मिलती है।
3. हृद पेशी ऊतक
यह एक संकुचनशील ऊतक है जो केवल हृदय में ही पाया जाता है। हृद पेशी ऊतक की कोशिकाएँ कोशिका संधियों द्वारा द्रव्य कला से एकरूप होकर चिपकी रहती हैं। संचार संधियों अथवा अन्तर्विष्ट डिस्क (intercalated disc) के कुछ संगलन बिंदुओं पर कोशिका एक इकाई रूप में संकुचित होती है। जैसे कि जब एक कोशिका संकुचन के लिए संकेत ग्रहण करती है, तब दूसरी पास की कोशिका भी संकुचन के लिए उद्दीपित होती है।