वाष्पोत्सर्जन
वाष्पोत्सर्जन (transpiration) वह क्रिया है जिसमें जीवित पौधे, अपने वायवीय भागों; जैसे-पत्तियों, हरे प्ररोह आदि के द्वारा आन्तरिक ऊतकों से, अतिरिक्त पानी को वाष्प के रूप में बाहर निकालते हैं। पौधे अपनी जड़ों द्वारा जितना पानी पृथ्वी से अवशोषित करते हैं, उसकी सम्पूर्ण मात्रा उपापचयी। क्रियाओं (metabolic activities) में काम नहीं आती। इसका अत्यधिक अंश पौधे के लिए बेकार होता है। कभी-कभी तो अवशोषित जल का 5% से भी कम भाग ही पौधे के लिए उपयोगी होता है। और शेष जल (95% से भी अधिक भाग) पौधे से विभिन्न रूपों में वातावरण में उत्सर्जित किया जाता है। अन्य क्रियाओं की अपेक्षा यह पानी सदैव ही (रात-दिन) किसी-न-किसी दर से वाष्पोत्सर्जन की क्रिया द्वारा पौधों की वायवीय सतहों से वाष्प बनकर उड़ता रहता है। वाष्पोत्सर्जन (transpiration) की यह क्रिया एक भौतिक क्रिया (physical process) होने के साथ-साथ किसी सीमा तक एक जैविक क्रिया (vital activity) है तथा जीवद्रव्य के द्वारा नियन्त्रित रहती है।