रुधिर के कार्य रुधिर के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं
1. ऑक्सीजन का परिवहन :
रुधिर ऑक्सीजन के परिवहन में सहायक है। इसकी लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन (haemoglobin) ऑक्सीजन ग्रहण करके ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) में बदल जाता है और इसी रूप में ऑक्सीजन को ऊतकों में पहुँचाता है। ऊतकों में पहुँचने पर ऑक्सीहीमोग्लोबिन ऑक्सीजन तथा हीमोग्लोबिन में टूट जाता है। ऑक्सीजन, श्वसन के लिए ऊतकों द्वारग्रहण कर ली जाती है।
2. पोषक पदार्थों को ले जाना :
आँत से अवशोषित भोज्य पदार्थ अपनी विलेय अवस्था में रुधिर प्लाज्मा द्वारा ऊतकों में पहुँचाये जाते हैं।
3. उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन :
शरीर में यूरिया आदि अनेक नाइट्रोजन युक्त हानिकारक पदार्थ बनते हैं। इन्हें रुधिर वृक्कों में पहुँचा देता है, जहाँ से ये छनकर मूत्र के रूप में बाहर निकल जाते हैं। CO2 भी प्लाज्मा के द्वारा श्वसनांगों तक पहुँचायी जाती है।
4. शरीर के ताप का नियन्त्रण :
शरीर के सभी भागों में समान ताप बनाये रखने का कार्य भी रुधिर ही करता है। अधिक सक्रिय भागों में यह तीव्र उपापचय के कारण बढ़ते हुए ताप को सीमा से अधिक बढ़ने नहीं देता है।
5. अन्य पदार्थों का परिसंचरण :
हॉर्मोन्स, एन्जाइम्स, एण्टीबॉडीज आदि को एक स्थान से अथवा उनके निर्माण के स्थान से अन्य स्थानों तक पहुँचाने का कार्य रुधिर ही करता है।
6. रोगों से बचाव वे घाव का भरना :
श्वेत रुधिर कणिकाएँ बाहर से आने वाले रोगाणुओं से लड़ती हैं तथा उनको नष्ट करती हैं। मवाद (pus) आदि के रूप में वह सब घाव से निकल जाता है। साथ ही आवश्यक पदार्थों आदि को पहुँचाकर रुधिर, घाव के भरने में सहायता करता है। इसी प्रकार अनेक प्रकार के विषों (toxins) के विपरीत प्रतिविष (antitoxins) बनाकर शरीर की रोगों से रक्षा करता है।