कोशिका भक्षण
श्वेत रुधिराणुओं में पादाभों द्वारा भ्रमण करने की क्षमता पायी जाती है। ये रुधिर के बहाव की उल्टी दिशा में भी भ्रमण कर सकते हैं। यही नहीं ये महीन केशिकाओं की दीवार के छिद्रों से निकलकर ऊतक द्रव्य में भी जाते रहते हैं। ऊतकों में जाकर अधिकांश श्वेत रुधिराणु जीवाणुओं, विषाणुओं, विष पदार्थों, टूटी-फूटी कोशिकाओं तथा अन्य अनुपयोगी निर्जीव कणों का अपने पादाभों द्वारा अन्तर्ग्रहण करते रहते हैं। इस प्रक्रिया को कोशिका भक्षण तथा श्वेत रुधिराणुओं को भक्षी कोशिका कहते हैं।
इस प्रक्रिया का प्रमुख उपयोग यह है कि इसके द्वारा हमारे शरीर में उपस्थित अनुपयोगी तत्त्वों का निराकरण होता रहता है।